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कला संकाय कला संकाय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तावित उत्कृष्ठ उदार कला शिक्षा के लिए प्राथमिक स्थान है। मानवता से परिचित कराने के माध्यम से छात्रों को मानव अनुभव, अतीत और वर्तमान की नैतिक सौन्दर्यात्मक और बौद्धिक आयामो का प्रशिक्षण प्रदान करना और भविष्य के संस्कृति के विवेकपूर्ण और चिन्तनशील योगदान हेतु तैयार करना है। डॉ. एनी बेसेंट द्वारा सन १८९८ में सेन्ट्रल हिन्दू कालेज में स्थापित कला संकाय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का न केवल प्राचीनतम संकाय है बल्कि यह २५० से अधिक शिक्षकों, ४००० छात्रों और १२० सहायक कर्मचारियों सहित सबसे बड़ा संकाय भी है। इसने अपने महान संस्थापक पं. मदन मोहन मालावीय जी की दूरदर्शिता के उन्नयन में इतिहास, संस्कृत, दर्शन, धर्म और भाषाओं व साहित्य के क्षेत्र में अग्रणी कार्य एवं अनुसंधान के माध्यम से हमारी संस्कृति के उत्कृष्ठ विचारों, आदर्शो एवं मूल्यों के संरक्षण एवं प्रसार में सदैव ही सशक्त भूमिका निभायी है। संकाय में इक्कीस शिक्षण विभाग है, जिनके नाम प्रचीन भारतीय इतिहास संस्कृति व पुरातत्व, अरबी, बंगाली, अंग्रेजी, विदेशी भाषायें (रसियन, चाइनिज, सिंहली, जापानीज, स्पेनिश और पोलिस), प्र�ांसीसी अध्ययन, जर्मन अध्ययन, हिन्दी, कला इतिहास, भारतीय भाषायें (कन्नड, नेपाली, तमिल), पत्रकारिता एवं जन संचार, पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान, भाषा विज्ञान, मराठी, म्यूजियोलॉजी (बी के बी), पाली व बौद्ध अध्ययन, फारसी, दर्शन विज्ञान व धर्म, शारीरिक शिक्षा, संस्कृत, तेलुगु और उर्दू। इन विभागों के अतिरिक्त संकाय में कार्यालय प्रबन्धन एवं कार्यालयी तकनीक, विज्ञान एवं सेल्समैनशिप, बीमा प्रबंधन, वित्त एवं अंकेक्षण, पुरातत्व एवं संग्रहालय विज्ञान और यात्रा एवं पर्यटन प्रबंधन में व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी है। इन विभागों के माध्यम से संकाय द्वारा विविध शैक्षणिक कार्यक्रम संचालित किये जाते है जो प्रमाण पत्र और डिप्लोमा स्तर से लेकर पीएच.डी. और डी.लिट़ जैसे अनुसंधन कार्यक्रम भी है। इसके साथ ही वैश्विक ज्ञान प्रणाली में विस्थापन और बदलते सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संरचनाओं के परिपेक्ष्य में जो मानववादी क्षेत्रों ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी बढते घ्हूीfaम को मान्यता देने वाली है, संकाय ने वर्तमान विषयों के सुदृढीकरण और ज्ञान के नये क्षेत्रों में अन्तर्विषयी कार्यक्रमों को प्रारम्भ करने का बड़ा कदम उठाया है। यह कदम समकालीन मांंगों आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये उठाया गया है। सत्र २०११-१२ की अवधि में इन शुरूआतो के भाग के रूप में संकाय निम्नलिखित कदम उठाये है: � स्नातक स्तर पर सेमेस्टर प्रणाली लागू की गयी। इसके साथ ही यह संकाय शिक्षा की सेमेस्टर प्रणाली को पूरी तरह से क्रियान्वित कर चुका है। � संकाय द्वारा प्रस्तावित अन्तर्विषयी अध्ययन केन्द्रों भाजपुरी अध्ययन केन्द्र, अन्तर्सास्कृतिक अध्ययन केन्द्र और अनुवाद अध्ययन केन्द्र को विश्वविद्यालय द्वारा संस्तुति प्रदान की गयी है। एक अन्य केन्द्र मालवीय मुल्य अनुशीलन केन्द्र को शैक्षणिक कार्यक्रम चलाने के क्रम में संकाय से सम्बद्ध किया गया है। � कुछ विदेशी विश्वविद्यालस जैसे बीजिंग यूनिवर्सिटी आफ फारेन स्टडीज, चाइना, बीजिंग लैंग्वेज एण्ड कल्चरल यूनिवर्सिटी, चाइना और यूनिवर्सिटी आफ गोथेनबर्ज, स्वीडेन के साथ नये सहमति पत्र हस्ताक्षरित/ नवीनीकरण किये गये है। � अन्तर्विषयी अनुसंधान एवं अध्ययन को बढ़ावा देने के क्रम मे संकाय ने एक अन्तर्राष्ट्रीय और तीन राष्ट्रीय समीतियों का आयोजन किया। यह संकाय अपने विभिन्न विभागों द्वारा आयोजित पाँच अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी और सोलह राष्ट्रीय संगोष्ठी व कार्यशालाओं का कार्यक्रम स्थल भी रहा है। � संकाय द्वारा ख्यातिलब्ध विदेशी विद्वानों जैसे कोलम्बिया विश्वविद्यालय के प्रो. ज न स्ट्रास हावने, वेनेजुएला केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. लुइक ब्रिट्टो गार्सिया, आक्सफोर्ड के प्रो. ऐजाज अहमद, इमोरी विश्वविद्यालय के प्रो. वी. नारायन राव, वै�लिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्व�ले के प्रो. वसुधा डालमिया और अनेक अन्य विद्वानों के व्याख्यान आयोजित हुए। इसके अतिरिक्त, संकाय द्वारा श्री मारकण्डेय काटजू, माननीय न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय, प्रो. पुरूषोत्तम अग्रवाल, सदस्य, यू.जी.एस.सी., प्रो. नामवर सिंह और प्रो. अशोक बाजपेई के विशेष व्याख्यान आयोजित किये गयें। � तीस विद्यार्थियों के बैठने की क्षमता के एक पूर्ण सुसज्जित कम्प्यूटेराइज्ड मल्टी-मीडिया भाषा प्रयोगशाला स्थपित किया गया। � नेत्रबाधित और अन्य शारीरीक रूप से अक्षम छात्रों के लिए एक विशेष संगणक प्रयोगशाला बनायी गयी। � एक मल्टीमिडिया इक्विप्ड कान्फरेंस पै�सीलिटी डॉ. एनी बेसेन्ट सभागार की स्थापना की गयी। |
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