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पर्यावरण एवं संपोष्य विकास संस्थान संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर, २००२ में अपने ५७वें सत्र में वर्ष २००५-२०१४ तक की अवधि की `संपोष्य विकास हेतु शिक्षा-दशक' (डीईएसडी) के रूप में घोषित किया था। डीईएसडी के दृष्टिकोण से संपोष्य विकास हेतु शिक्षा से व्यक्तियों, समूहों, समुदायों, संगठनों एवं देशों की संपोष्य विकास के पक्ष में निर्णय लेने तथा विकल्प चुनने की क्षमता विकसित व मजबूत होगी। संयुक्त राष्ट्र के इस दृष्टिकोण के अनुसार उपयुक्त ज्ञान के विकास एवं संपोष्य् विकास क्षमता के क्षेत्र में उच्चतर शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होना चाहिए। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने वर्ष २०१० में एक राष्ट्रस्तरीय पर्यावरण एवं संपोष्य विकास संस्थान स्थापित किया। वर्ष २०११ में शैक्षिक पदों पर भर्ती की गई। वर्तमान में संस्थान में एक प्रोपे�सर (आचार्य), तीन एसोशिएट प्रोपे�सर (सह-आचार्य) एवं चार असिस्टेंट प्रोपे�सर (सहायक आचार्य) हैं। संस्थान का उद्देश्य संपोष्य विकास के बारे में शिक्षा (समाविष्ट के बारे में जागरुकता विकसित करना) एवं संपोष्य विकास हेतु शिक्षा (संपोष्यता की प्राप्ति हेतु शिक्षा को एक औजार के रूप में उपयोग करना) को शामिल (कवर) करना है। संस्थान का मिशन ऐसा शिक्षण, शोध व विस्तार कार्य करना है जिससे भविष्योन्मुख भारत का संपोष्य विकास हो तथा गरीबी मिटे और देश के प्राकृतिक संसाधनों का कुशल व समुचित प्रबंधन बरकरार रहे। |
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